After locks Aligarh will now secure Indian borders PM Modi

Aligarh: Prime Minister Narendra Modi said on Tuesday that Aligarh, which was known to manufacture locks for securing houses, will now play an important role in securing the country’s borders.

Inaugurating the defence node here, the Prime Minister said the foundation of the defence node of Aligarh was being laid on the auspicious occasion of Radha Ashtami which made the occasion all the more pious.

He said that till now importing defence equipment was a rule but with the establishment of the defence corridor, India would soon be in a position to export defence equipment.

“India will not only become self-reliant in defence matters but will also become a major exporter in this sector,” he said.

The Prime Minister who also laid the foundation stone for the Raja Mahendra Pratap Singh state university, said that the university will focus on modern education and emerge as a hub for defence studies and defence research.

Talking about Raja Mahendra Pratap Singh, the Prime Minister said that he was a freedom fighter who had been forgotten by the previous governments.

“Every youth who has dreams, should know about Raja Mahendra Pratap Singh and can learn from his life. Today, we are trying to acquaint the new generation with these icons even as the country celebrates Amrit Mahotsav,” he said.

The Prime Minister said that the defence node in Aligarh and the Raja Mahendra Pratap Singh university would transform western Uttar Pradesh soon.

Lauding the Yogi Adityanath government for creating a new work culture and acting as a catalyst for development, the Prime Minister said that the chief minister had given a new face to Uttar Pradesh which was earlier known only for corruption and scams.

Recalling an anecdote from his childhood, the Prime Minister said that a Muslim man would visit his village every three months to sell locks from Aligarh.

“As a child, I knew about Aligarh because of the locks and about Sitapur because everyone used to go to Sitapur for eye treatment. Today Aligarh is poised to make a name in a much larger field,” he said.

The Prime Minister also remembered former chief minister late Kalyan Singh and said that his absence was being deeply felt.

Earlier, the Prime Minister viewed the models of the proposed defence node and the state university.

The university is being established by the state government in the memory and honour of the great freedom fighter, educationist and social reformer, Raja Mahendra Pratap Singh.

The university will be set up in a total area of over 92 acres in the Lodha village and Musepur Kareem Jarouli village of Aligarh’s Kol tehsil.

The university will provide affiliation to 395 colleges of the Aligarh Division.

Courtesy: Siasat

मुख्तार अब्बास नकवी: देश भर की वक्फ सम्पत्तियों का 100 दिन 100 प्रतिशत डिजिटाइजेशन लक्ष्य

रिज़वान रजा: आज नई दिल्ली के एनडीएमसी कन्वेंशन सेंटर में आयोजित केंद्रीय वक्फ परिषद् के राष्ट्रीय सम्मेलन में केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री श्री मुख्तार अब्बास नकवी के सम्बोधन के मुख्य अंश:
नई दिल्ली, 29 जुलाई, 2019: केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री श्री मुख्तार अब्बास नकवी ने आज यहाँ कहा कि केंद्र सरकार ने अपने 100 दिनों में देश भर की वक्फ सम्पत्तियों का सौ प्रतिशत डिजिटाइजेशन करने का लक्ष्य रखा है। देश भर में 6 लाख से ज्यादा पंजीकृत वक्फ सम्पत्तियाँ हैं।
आज नई दिल्ली के एनडीएमसी कन्वेंशन सेंटर में आयोजित केंद्रीय वक्फ परिषद् के राष्ट्रीय सम्मेलन में श्री नकवी ने “कौमी वक्फ बोर्ड तरक्कियाती स्कीम” के तहत 8 वक्फ मुतवल्लियों को पुरस्कृत किया। यह पहला मौका है जब वक्फ मुतवल्लियों को वक्फ सम्पत्तियों के सदुपयोग विशेषकर इनका जरूरतमंदों के सामाजिक-आर्थिक-शैक्षिक सशक्तिकरण के लिए सदुपयोग करने वाले मुतवल्लियों को प्रोत्साहित एवं पुरस्कृत किया गया है।
श्री नकवी ने कहा कि देश भर में कार्यरत मुतवल्ली वक्फ सम्पतियों के “कस्टोडियन” हैं। उनकी जिम्मेदारी है कि वक्फ संपत्तियों का सदुपयोग एवं सुरक्षा हो। इस सम्मेलन में केंद्रीय वक्फ काउंसिल के सचिव, काउंसिल के सदस्य एवं वरिष्ठ अधिकारी, देश भर के राज्य वक्फ बोर्डों के चेयरमैन/सीईओ एवं अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।
श्री नकवी ने कहा कि वक्फ संपत्तियों की 100 प्रतिशत जियो टैगिंग एवं डिजिटाइजेशन के लिए युद्धस्तर पर अभियान शुरू कर दिया गया है ताकि देश भर में स्थित वक्फ सम्पत्तियों का सदुपयोग समाज की भलाई के लिए किया जा सके। सेंट्रल वक्फ कौंसिल, वक्फ रिकॉर्ड के डिजिटलाइजेशन एवं जीआई मैपिंग/जिओ टैगिंग हेतु राज्य वक्फ बोर्डों को आर्थिक मदद एवं तकनीकी सहायता दे रही है ताकि सभी राज्य वक्फ बोर्ड, वक्फ सम्पत्तियों के डिजिटलाइजेशन का काम तय समय सीमा में पूरा कर सकें।
वक्फ सम्पत्तियों की जीआईएस/जीपीएस मैपिंग के लिए आईआईटी रूरकी, अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी जैसे संस्थानों द्वारा काम किया जा रहा है। 20 राज्यों के वक्फ बोर्डों में वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग की सुविधा मुहैय्या कराई गई है। इस साल सभी राज्य वक्फ बोर्डों में यह सुविधा उपलब्ध करा दी जाएगी।
श्री नकवी ने कहा कि आजादी के बाद पहली बार प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार देश भर में वक्फ संपत्तियों पर स्कूल, कालेज, हास्पिटल, सामुदायिक भवन आदि के निर्माण के लिए प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम (पीएमजेवीके) के तहत शत-प्रतिशत फंडिग कर रही है।
मोदी सरकार “प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम” के तहत देश के उन पिछड़े क्षेत्रों में कमजोर तबकों और विशेषकर लड़कियों की शिक्षा एवं रोजगारपरक कौशल विकास एवं स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए ढांचागत विकास कर रही है जो अब तक इन सुविधाओं से वंचित रहे हैं। केंद्र सरकार देश भर में वक्फ सम्पत्तियों पर स्कूल, कॉलेज, आईटीआई, कौशल विकास केंद्र, बहु-उदेशीय सामुदायिक केंद्र “सद्भाव मंडप”, “हुनर हब”, अस्पताल, व्यावसायिक केंद्र, कॉमन सर्विस सेंटर आदि का निर्माण बड़े पैमाने पर कर रही है।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने अल्पसंख्यकों के लिए देश के सिर्फ 100 जिलों तक सीमित विकास योजनाओं का विस्तार “प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम” के अंतरगर्त 308 जिलों, 870 ब्लॉक, 331 शहर, हजारों गांवों में कर दिया है। इन योजनाओं का लाभ समाज के सभी वर्गों को हो रहा है।
श्री नकवी ने कहा कि वक्फ सम्पत्तियों के सम्बन्ध में नए दिशानिर्देशों के लिए जस्टिस (सेवानिवृत) श्री ज़कीउल्लाह खान के नेतृत्व में गठित 5 सदस्यीय कमेटी द्वारा रिपोर्ट सौंप दी गई है। कमेटी की रिपोर्ट की सिफारिशें वक्फ संपत्तियों के सदुपयोग एवं दशकों से विवाद में फंसी सम्पत्तियों को विवाद से बाहर निकालने के लिए वक्फ नियमों को सरल एवं प्रभावी बनाएगी। केंद्र सरकार इस कमेटी की सिफारिशों पर राज्य सरकारों से परामर्श कर आवश्यक कदम उठा रही है।

An Open Letter to Indian Muslims

DEAR Muslims,

I am writing this with full responsibility and knowledge of the situation on the ground. I live thousands of miles away from Indian shores but visit thrice in a year and closely follow events and remain in touch with friends and acquaintances.

Please do not get me wrong, this shouldn’t be interpreted as a patronising lecture. I understand the sentiments you express on social media and share the anger and frustration over events taking place in several states. However, please understand that nothing is permanent and what goes up is bound to come down. The prevailing climate will change very soon. I can see that happening. Things that happened six months ago are no longer happening. There are signs of change in every sphere of Indian society. Issues of bread and butter are a great leveler and hurt indiscriminately, regardless of your caste and religion. It has started to hurt people — businesses are suffering, jobs are vanishing, sources of livelihood are shrinking. In a short span of time, these issues will consume all the sections of the society. Religion or ideology can’t fill tummies, create jobs or propel growth. People will understand this very soon, they have begun to understand — protests by farmers in Maharashtra and anger of Patels in Gujarat are good examples. Continue reading “An Open Letter to Indian Muslims”

Time for the broader Hindu community to speak up

DEAR Hindus,

The brutal murder of a poor Muslim labourer recently is not intended to terrorise Muslims, a community that is becoming immune to such threats after a series of targeted killings. In the last three odd years, they have seen many such killings by mobs and individuals in the name of Hinduism.

The real motive behind these killings is to terrorise you, Dear Hindus. Yes, don’t be surprised, Muslims are just a pawn — to add muscle and momentum to a specific political narrative.

For those who propagate the ideology of hate, their real enemy is the moderate, well-meaning Hindu who believes in the idea of India, an India that is home to 1.25 billion plus people of diverse faith, race, languages and appearance. Continue reading “Time for the broader Hindu community to speak up”

भारतीय मुसलमान: डर के साये में?

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पूर्व उपराष्ट्रपति श्री हामिद अंसारी के एक हालिया बयान से जिस प्रकार मीडिया ट्रायल हुआ और उसको राजनितिक मोड़ दिया गया वो गिरते वैचारिक मानसिकता और मुद्दों को संवेदनशील बनाकर राजनीति करने के नए तरीके का परिणाम है। हामिद अंसारी के कथन को समझने के लिए सिर्फ बीजेपी के इस तीन साल का ही विश्लेषण नहीं होना चाहिए वरना ये राजनितिक विश्लेषण होकर रह जाएगा। इसको समझने के लिए हमें कम से कम एक सदी और उसके बाद के मुसलमानो के हालत को नज़र में रखना होगा।

स्वतंत्रता संग्राम में हिंदुस्तानी मुसलमानो की भागीदारी और बलिदान को किसी के सनद की आवश्यकता नहीं। मुसलमानो ने अपनी आबादी और हिस्सेदारी से अधिक बढ़-चढ़ कर इस लड़ाई को लड़ा और जीता। लेकिन पाकिस्तान के बंटवारे ने जिस प्रकार भारतीय मुसलमानो को मानसिक, सामाजिक, आर्थिक और राजनितिक रूप से तोड़ा उससे हम दशकों निकल नहीं पाये। शिक्षित, आर्थिक रूप से संपन्न, सरकारी नौकरियों के बड़े ओहदेदार भारत छोड़कर एक नए देश में अपना सुख तलाशने जा चुके थे। बचा था दबा, कुचला , पिछड़ा और अशिक्षित मुसलमान जिसको अपने पुरखों की विरासत को छोड़ना किसी हाल में गवारा नहीं था।

पकिस्तान बनने की आत्मग्लानि, जातीय राजनीति के बढ़ते ज़ोर में बिना नेतृत्व के खौफ के माहौल से मुसलमानो को उबरने में एक लंबा समय लगा। जब उबरने लगे तो पाकिस्तान की भाँती ‘धर्मांधता’ की राजनीति भारत में भी शुरू हो चुकी थी। हमें इस बात को महसूस करना होगा की पाकिस्तान में बचे अल्पसंख्यक भी इसी पीड़ा से गुज़रे होंगे। फ़र्क़ इतना ज़रूर है की भारतीय मुसलमानो के अधिकार की बड़ी बड़ी लड़ाई यहाँ के बहुसंख्यक समाज ने लड़ा और आज भी वो लड़ते हैं।

मुझे हामिद अंसारी साहेब की बातों को समर्थन करने में कोई हिचक नहीं। आज भारतीय मुसलमान डर में है। वो पाकिस्तान बंटवारे के बाद भी डर में थे और आज भी डर के माहौल में जी रहे।

इन सब चीजों में जो एक चीज़ छूटी वो है मुसलमानो की समाज निर्माण में हिस्सेदारी की कमी। उसके कई कारण हैं जिसपर एक लंबी चर्चा की आवश्यकता है। 70 साल का अंतराल किसी समाज को सम्भलने और अपने हालात को सुधारने के लिए कम नहीं होता। आप सिर्फ दूसरों पर इलज़ाम लगाकर अपनी ज़िम्मेदारी से नहीं बच सकते। मुसलमानो में शिक्षा के प्रति रुझान बढ़ा है। ज़रुरत है अपनी सामाजिक ज़िम्मेदारियों के प्रति सोचने, इसपर निरंतर चर्चा कर एक दिशा देने की। मैं आओ सबको आमंत्रित करता हूँ इसपर एक बहस शुरू हो और मुख्यधारा से जुड़कर काम आगे बढे।

 

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Leave Cricket of all the sports alone!

INDIA-PAK cricket showdown was there before also. And those matches were not played during peaceful times either. The matches were prone to hyper nationalism ventilation as well. Just like the present, but with a difference. The sports page handlers of media houses then were sane enough to separate the chaff from the wheat. The winners were given prominent coverage, the perennial hostilities not withstanding. The editorial policies were relatively fair when it came to sports.

Now, we are in a more hyper sensitive era with media playing the three-in-one tone with finesse. Aggrieved, aggressor and the clueless. This two ‘A’ and one ‘c’ mode is incongruous with the five ‘W’ notion that’s the bedrock of journalism. The perfect example is india’s leading English paper’s coverage of Pakistani team. The insiders say the desk hands were told not to give significance to Pak players. Yeah, you heard right! Even if they had the best day on field. Continue reading “Leave Cricket of all the sports alone!”

Babri case: a golden chance for muslims

Babri Masjid prior to its destructionThe Supreme Court’s advice to settle Babri Masjid-Ram Janmbhoomi case outside the court is a golden opportunity for Muslims to demand their rights.

The SC’s advice is a clear indication that the highest court of the land is unlikely to decide on this case. That is why, it has suggested consultations between Hindus and Muslims and offered to arbitrate a settlement.

Two, the timing of the SC advice is also a clear indication that Modi Govt is not keen to build a Ram Temple by amending the Constitution despite the legislative muscle it has acquired after winning Uttar Pradesh.

Modi Government’s first choice would be to somehow bring Muslim community — by coercion or persuasion — to the table and negotiate a settlement.

Why the government would wants to consult Muslims?  Continue reading “Babri case: a golden chance for muslims”

Time for Muslims to deal with the Modi phenomenon

Indian PM Narendra ModiWhichever way you look at it, there’s only one story — one man has overshadowed every thing and everyone in Uttar Pradesh.

Laptops, pension for women, metro, expressway, free uniforms and much more, nothing mattered to the voter of UP. Akhilesh, Mayawati or Rahul, no one mattered to the voters.

They wanted only one thing. They want to strengthen the hands of the Prime Minister.

They want him in spite of Notebandi, they want him in spite of LPG and petrol price hikes, they want him in spite of expensive banking and rail travel. They want him even in the absence of tangible benefits his three-year government could have delivered but failed. But that doesn’t matter anymore. They want him more and more. His failures simply don’t matter. Continue reading “Time for Muslims to deal with the Modi phenomenon”