
नई दिल्ली. हाल ही में मुम्बई में सर सय्यद डे मनाया गया और इसके साथ ही अलिग बिरदारी का 5 साल पुराना बिखराव एकजुटता में बदल गया। ऐसा नहीं था की इन पांच सालों के दौरान मुम्बई के सभी ग्रुप को एकसाथ लाने की कोशिश नहीं हुई या हो रही थी लेकिन कामयाबी हर बार हाथ से फिसल जाया करती थी। मुम्बई में इसबार भी 2 सर सय्यद डे का आयोजन तय था लेकिन ऐन वक़्त पर ‘इत्तेहाद का सफ़ीर’ बन कर खड़े हो गए सीनियर अलिग, भारत के विख्यात भूगर्भ वैज्ञानिक, कश्मीर विश्वविदयालय के पूर्व और जामिया मिल्लिया इस्लामिया दिल्ली के वर्तमान कुलपति प्रो.(डॉ.) तलत अहमद साहेब। मुम्बई में मुख्य अतिथि के तौर पर तलत अहमद साहेब का प्रोग्राम तय होने के बाद मुझसे बातचीत के दौरान उन्होंने अपना मुम्बई का प्रोग्रम बताया। मेरे लिए ये बहुत दुविधा की बात थी क्योंकि दूसरी जगह प्रोग्राम का आयोजन करने वाले मेरे ही साथी थे। जब तलत साहेब ने मुझसे कहा की तुम आओगे न तो मैंने कहा मैं कैसे आ सकूँगा? मैंने कहा एक ही दिन, एक ही समय पर एक ही शहर में 2 स्थानों पर प्रोग्राम है, मैं दूसरे प्रोग्राम के आयोजको में से हूँ। मैंने अपनी विवशता बताई। तलत साहेब ने उस समय कहा ‘विश्व, देश, समाज और अलिग बिरादरी को इत्तेहाद की ज़रुरत है। क्या तुम इसके दूत नहीं बनोगे ? और अगर तुम नहीं बनोगे तो कौन बनेगा ? क्या हम किसी और के आने का इंतज़ार करते रहेंगे और नस्ल-दर-नस्ल बंटकर अपनी क्षमता को नकारात्मक कार्यों में छिन-भिन्न करते रहेंगे। मेरा एक बड़े भाई, सीनियर होने के नाते तुम पर अधिकार है की ये ज़िम्मेदारी दूँ, तुमको कहूँ की मुम्बई का इत्तेहाद करना, कराना तुम्हारा और तुम्हारे साथियों की ज़िम्मेदारी है। सर सय्यद डे मुम्बई में एक ही होना चाहिए तनवीर, कैसे, तुम जानो।’ Continue reading “इत्तेहाद का नया दूत: प्रो. (डॉ.) तलत अहमद”